भोपाल। प्रदेश के करीब सवा छह हजार प्रायमरी स्कूलों की मान्यता के मामले अब तक पेंडिंग हैं। इस कारण यह नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) के दायरे से बाहर होने की कगार पर हैं। आरटीई के तहत गैर अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों में कक्षा एक या प्री-स्कूल की प्रथम प्रवेशित कक्षा में नि:शुल्क प्रवेश का प्रावधान है।
स्कूूल शिक्षा विभाग ने अब तक प्रदेश के 6290 निजी स्कूलों की मान्यता के प्रकरण विभिन्न् कारणों से लटका कर रखे हैं। मान्यता के प्रकरण विभिन्न् स्तरों पर लंबित होने की वजह से आरटीई के तहत नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाएंगे।
राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक लोकेश जाटव ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा है कि अगर स्कूलों की मान्यता के इन मामलों का तत्काल निराकरण नहीं किया जाता तो यह आरटीई के तहत प्रवेश की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाएंगे।
इस वजह से संबंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द इन प्रकरणों का निराकरण करने के लिए निर्देशित करें। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इन मामलों को निपटारा जल्द किया जाए इसके लिए मॉनीटरिंग की जा रही है। गौरतलब है कि निजी स्कूलों की प्रथम प्रवेशित कक्षा में 25 प्रतिशत सीटों पर आरटीई के तहत प्रवेश दिया जाता है।
139 प्रकरण भोपाल में अटके
जानकारी के मुताबिक स्कूलों की मान्यता के 139 प्रकरण केवल भोपाल में ही लंबित हैं। इसके अलावा उज्जैन में 479, जबलपुर में 325, इंदौर में 197, ग्वालियर में 198 प्रकरण लंबित हैं। बड़ी संख्या में ऐसे जिले हैं जहां 200 से ज्यादा मामले लंबित हैं।
ये मामले बीआरसी और जिला शिक्षा अधिकारी स्तर पर लंबित हैं। जन शिक्षा अधिकार संरक्षण समिति के अध्यक्ष रमाकांत पांडेय का कहना है कि अगर इन मामलों का निपटारा नहीं होता है तो बड़ी संख्या में बच्चों को उनके निवास से दूर स्थित स्कूलों में प्रवेश लेना होगा।
ज्ञात रहे कि 31 मई तक आरटीई के तहत आवेदन करने की आखिरी तारीख निर्धारित की गई है। पहले यह 15 मई तक थी। इसे बढ़ाए जाने की वजह भी यही है कि स्कूलों की मान्यता के प्रकरण का निपटारा हो सके। आरटीई के तहत लॉटरी 5 जून को निकलेगी।