नई दिल्ली। कश्मीर घाटी में प्रतिबंधित आईएसआईएस के आधार बनाने की आशंका से सुरक्षा एजेंसियां इंकार नहीं कर रही हैं। उनका कहना है कि पिछले छह महीने में कुछ युवकों ने इराक और सीरिया में संदिग्ध आतंकवादियों के साथ अपने संपर्क बढ़ाए हैं।
सुरक्षा प्रतिष्ठान के अधिकारियों का कहना है कि घाटी के कुछ छोटे इलाके के युवक सीरिया और इराक में एक—दो आतंकवादियों से संपर्क करने के प्रयास में हैं।
पिछले महीने पुलवामा में हिजबुल मुजाहिद्दीन के एक आतंकवादी की कब्र पर दो नकाबपोश बंदूकधारी दिखे, जिस दौरान उन्होंने वहां उपस्थित लोगों से तालिबान और आईएसआईएस द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करने और पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाने के लिए कहा।
अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने तीन मिनट से ज्यादा समय तक भड़काउ भाषण दिए, जिसमें उन्होंने पूरी तरह इस्लामीकरण और शरीयत को कानून बनाने के महत्व पर जोर दिया।
आतंकवादी संगठन यूनाईटेड जिहाद काउंसिल के साथ ही हिजबुल की स्थानीय इकाई ने घटना को तवज्जो नहीं दी, वहीं सुरक्षा अधिकारी इसे गंभीरता से ले रहे हैं।
एजेंसियों का मानना है कि अगर आईएसआईएस के बढ़ते प्रभाव को नहीं रोका गया तो यह घाटी की स्थिति के लिए खतरनाक हो सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि पिछले एक वर्ष में घाटी से सीरिया और इराक में इंटरनेट पर हुए संपर्क पर नजर रखी गई।
वर्ष 2014, 2015 और 2016 में मामूली घटनाएं सामने आईं। लेकिन इस वर्ष की शुरूआत में निगरानी प्रणाली स्थापित करने के बाद सौ से ज्यादा लोगों को दोनों देशों में संदिग्ध आतंकवादियों से बातचीत करते हुए पाया गया।